the expansion of railway tracks changed the geography of bihar

भारतीय रेलवे: रेल पटरियों के विस्तार ने बदला बिहार का भूगोल, उधोग और रोजगार के बढे अवसर

कोसी-सीमांचल और अंग क्षेत्र के कुछ हिस्से ऐसे थे, जहां जाना चांद फतह करने जैसा था। कई इलाके टापू से कम नहीं थे। बांका के सुदूर पहाड़ी क्षेत्रों के लोगों ने ट्रेन की सीटी तक नहीं सुनी थी। बिहार में 1934 में आये भूकंप में कोसी रेल पुल टूटने के बाद इलाका नौ दशक तक ट्रेन का इंतजार करता रहा। यहां नाव या अन्य साधन ही यातायात के नाम पर बचे थे। स्थितियां बदली हैं।

रेल कनेक्टिविटी से आवागमन सुगम हुआ है। नये बाजार बसे हैं। गांवों में रोजगार के साधन बढ़े हैं। बड़े बाजार से जुड़ाव हुआ है। अब पिता एक दिन में नेपाल जाकर अपनी बेटी से मिल कर लौट आता है। गांव के बच्चे ट्रेन से पढ़ने जाते हैं। बाबाधाम और तारापीठ दूर नहीं रहा। हालांकि, अब भी कुछ काम बाकी है। इसके पूरा होते ही बिहार का यह इलाका नये स्वरूप में दिखेगा।

रेल विकास से करीब नौ दशक बाद एकीकृत हुआ खंडित मिथिला

सुपौल जिले में करीब नौ दशक पूर्व खंडित मिथिला के शीघ्र एकीकरण की संभावना बढ़ गयी है। उम्मीद है मानसून से पूर्व सहरसा से निर्मली होते दरभंगा तक ट्रेन सेवा प्रारंभ हो जायेगी। वहीं, सहरसा-फारबिसगंज रेलखंड में भी बड़ी लाइन के ट्रेनों का परिचालन शुरू हो जायेगा। रेल विभाग युद्धस्तर पर निर्माण कार्य कर रहा है।

Train service will start from Saharsa to Darbhanga via Nirmali
सहरसा से निर्मली होते हुए दरभंगा तक ट्रेन सेवा होगी शुरू

मालूम हो कि इस रेलखंड में पूर्व में छोटी लाइन की ट्रेन चलती थी। 06 जून, 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कोसी रेल महासेतु का शिलान्यास किया गया था। 7 मार्च, 2019 को पहली बार बड़ी लाइन की ट्रेन सहरसा से सुपौल के गढ़बरूआरी पहुंची।

वहीं, 18 सितंबर, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झंडी दिखा कर सुपौल से सरायगढ़ होते आसनपुर कुपहा एवं राघोपुर स्टेशन तक ट्रेन सेवा प्रारंभ की। सुपौल से गलगलिया रेलखंड का काम जारी है। आनेवाले वर्षों में कोसी-सीमांचल का बंगाल-असम से सीधा संपर्क हो जायेगा।

सरायगढ़-झंझारपुर रेलखंड में पूरा हो चुका है स्पीड ट्रायल

बीते 15 फरवरी को आसनपुर कुपहा से निर्मली और निर्मली से तमुरिया स्टेशन के बीच सफल स्पीड ट्रायल हुआ है। सीआरएस स्वीकृति के बाद इस रेलखंड में झंझारपुर (मधुबनी) होते हुए दरभंगा तक ट्रेन सेवा जल्द शुरू की जायेगी।

इधर, सहरसा-फारबिसगंज रेलखंड में अमान परिवर्तन का कार्य तकरीबन पूरी कर लिया गया है। गत एक अप्रैल को राघोपुर से प्रतापगंज होते ललितग्राम तक ट्रेन सेवा शुरू भी हो चुकी है। 5 अप्रैल को ललितग्राम से नरपतगंज के बीच स्पीड ट्रायल कराया गया है।

Speed trial has been completed in Saraigarh-Jhanjharpur rail section
सरायगढ़-झंझारपुर रेलखंड में पूरा हो चुका है स्पीड ट्रायल

आशा है कि शीघ्र ही सहरसा-फारबिसगंज एवं सहरसा-दरभंगा रेलखंड के बीच ट्रेन सेवा शुरू हो जायेगी। इससे ना सिर्फ खंडित मिथिला एक हो जायेगी, बल्कि फारबिसगंज होते पूर्वोत्तर राज्यों से कोसी व कमलांचल (संयुक्त मिथिला) क्षेत्र का सीधा संपर्क स्थापित हो जायेगा। मालूम हो कि सरायगढ़-निर्मली के बीच पूर्व में मीटर गेज की ट्रेन चलती थी, लेकिन वर्ष 1934 में आये भूकंप और कोसी की बाढ़ में यह रेलखंड ध्वस्त हो गया था।

सीधी ट्रेन मिलने से सीधा जायेगा नेपाल कोसी क्षेत्र का मक्का

नयी रेल कनेक्टिविटी से आनेवाले दिनों में कोसी क्षेत्र में कृषि क्षेत्र के विकास का द्वार खुल जायेगा। जोगबनी, नरकटियागंज, दरभंगा और पूर्वोत्तर रेल नेटवर्किंग के क्षेत्र में कोसी का इलाका सीधा जुड़ जायेगा। इसके अलावा कोसी क्षेत्र नेपाल से सीधा जुड़ने के बाद ट्रांसपोर्टेशन गुड्स और मेन पावर का मूवमेंट होगा, तो व्यापारी विकास बढ़ेगा। रोजगार के अवसर बढ़ने पर मार्केट वैल्यू भी बढ़ेंगे।

Goods depot will open in Jogbani
जोगबनी में खुलेगा गुड्स डिपो

कृषि के क्षेत्र में कोसी क्षेत्र के रेल नेटवर्किंग से जुड़े जिले सहरसा और सुपौल के लोगों को एक नया बाजार मिलेगा। माल ढुलाई से आर्थिक स्थिति को काफी गति मिलेगी। कोसी क्षेत्र रेल नेटवर्किंग क्षेत्र में सीधा नेपाल से जुड़ जाने के बाद मटेरियल के अलावा खाद्य पदार्थ भी सीधा नेपाल जा सकेगा।

इसके लिए रेलवे द्वारा जोगबनी में गुड्स डिपो तैयार किया जा रहा है। नेपाल में कोसी क्षेत्र के मक्का की मांग काफी अधिक है। सहरसा, ललितग्राम, फारबिसगंज के रास्ते जोगबनी तक जुलाई में ब्रॉडगेज पर रेल का परिचालन शुरू हो सकेगा। जोगबनी में गुड्स डिपो निर्माण के बाद किसान को इसका सीधा लाभ मिलेगा। शॉर्ट रूट से किसान मक्का नेपाल पहुंचा सकेंगे।

पूर्वोत्तर राज्यों से होगा सीधा संपर्क

वर्तमान में सहरसा से ललितग्राम तक ट्रेन का परिचालन किया जा रहा है। ललितग्राम से नरपतगंज 13 किलोमीटर तक ब्रॉडगेज पर मई माह तक ट्रेन का परिचालन शुरू हो सकेगा। वहीं, जुलाई तक सहरसा से फारबिसगंज सीधी रेल नेटवर्किंग सेवा से जुड़ जायेगी।

Train operation from Saharsa to Lalitgram
सहरसा से ललितग्राम तक ट्रेन का परिचालन

इसके बाद कोसी क्षेत्र का सीधा संपर्क पूर्वोत्तर राज्य से होगा। कई ट्रेनों का मार्ग परिवर्तित कर कोसी क्षेत्र तक किया जायेगा। ऐसे में कोसी क्षेत्र के लोग पूर्वोत्तर राज्यों के साथ व्यापारिक संबंध भी स्थापित कर सकेंगे। एक-दूसरे जगह का माल आयात-निर्यात हो सकेगा।

पूर्व में जब जीएल एक्सप्रेस चलती थी, तो कोसी क्षेत्र का मक्का सहित मछली, मखाना और आम बड़े पैमाने पर पूर्वोत्तर राज्य भेजे जाते थे। सहरसा से निर्मली होकर दरभंगा के बीच जल्द ही ट्रेन सेवा बहाल होगी। 1934 में आये भूकंप के करीब 88 साल बाद एक बार फिर सहरसा, सुपौल, आसनपुर, निर्मली, दरभंगा एक प्लेटफार्म पर होंगे। सहरसा से निर्मली के रास्ते नरकटियागंज और गोरखपुर शॉर्ट रूट होगा।

रोजगार के अवसर बढ़ने पर बढ़ेगा मार्केट वैल्यू

समस्तीपुर डिवीजन के डीआरएम के मुताबिक, फारबिसगंज, जोगबनी तक रेल कनेक्टिविटी जुड़ने के बाद कोसी क्षेत्र के लोगों को किसी के क्षेत्र में काफी फायदा मिलेगा। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे ही, साथ ही नेपाल के साथ व्यापारिक संबंध भी बढ़ेगा। जोगबनी में गुड्स डिपो का निर्माण किया जा रहा है। उसी क्षेत्र का मक्का सीधा नेपाल जा सकेगा। मेटेरियल का भी आयात निर्यात हो सकेगा। ऐसे में प्रोडक्शन बढ़ेगा, तो रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

हाजीपुर जोन के सीपीआरओ वीरेंद्र कुमार ने कहा कि फारबिसगंज तक रेल नेटवर्किंग सेवा शुरू होने पर उसी क्षेत्र का सीधा संपर्क पूर्वोत्तर राज्य से होगा। नरकटियागंज, गोरखपुर दिल्ली की दूरी कम होगी। ऐसे में किसी क्षेत्र के विकास का एक नया रास्ता खुलेगा। कोसी क्षेत्र का खाद्य पदार्थ दूसरे राज्यों में आसानी से पहुंच सकेगा। ऐसे में रोजगार के अवसर बढ़ने पर मार्केट वैल्यू भी बढ़ेगा और बेरोजगार के लिए रोजगार का एक नया अवसर मिलेगा।

प्लेटफार्म के विस्तारीकरण से बालू कारोबारियों को फायदा

रेलवे ने कोरोना काल में लखीसराय जिले के दो महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों का विस्तारीकरण किया, जिसका फायदा अब बालू घाट चालू होने के बाद बालू कारोबारियों को मिल रहा है। जिले के विशेषकर लखीसराय रेलवे स्टेशन को दो प्लेटफार्म की जगह चार प्लेटफार्म का बना दिया गया।

Expansion of platform benefits sand traders
प्लेटफार्म के विस्तारीकरण से बालू कारोबारियों को फायदा

इसमें तीन नये प्लेटफार्म का निर्माण किया गया, जबकि एक पुराने प्लेटफार्म नंबर दो का इस्तेमाल एक नंबर प्लेटफार्म के रूप में किया गया है। पुराने एक नंबर प्लेटफार्म व रेलवे ट्रैक का इस्तेमाल अब बालू कारोबारियों के द्वारा किया जा रहा है।

रेलवे ने रैक प्वाइंट खोल लिखी विकास की नयी कहानी

अपनी आय बढ़ाने के लिए रेलवे ने पूर्णिया जिले में रैक प्वाइंट की शुरुआत कर विकास की नयी कहानी लिखी है। इससे एक तरफ जहां रेलवे का राजस्व बढ़ा है, वहीं दूसरी ओर रोजगार के अवसर बढ़े हैं और कारोबार को भी बढ़ावा मिला है। जिले में पूर्णिया जंक्शन, जलालगढ़ व रानीपतरा के अलावा सरसी और पूर्णिया कोर्ट स्टेशन पर कुल पांच रैक पवाइंट खोले गये हैं, जहां से मक्के की ढुलाई हुआ करती है।

सीजन में यहां से 14 से 15 लाख मैट्रिक टन मक्का की ढुलाई दक्षिण भारत के लिए होती है जबकि बाहर से सीमेंट, नमक, चीनी और खाद जिले में मंगाए जाते हैं। सड़क की अपेक्षा रेलमार्ग से ढुलाई का किराया काफी कम होने के कारण मक्का का कारोबार देश और देश के बाहर पहुंच गया और 2010 से बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों ने यहां क्रय केन्द्र खोल लिया।

Railways increased revenue, business and employment got a boost
रेलवे का बढ़ा राजस्व, कारोबार और रोजगार को मिला बढ़ावा

जलालगढ़ और रानीपतरा में रैक प्वाइंट खोले जाने से ना केवल इस इलाके का कारोबार बढ़ा, बल्कि रोजगार के नये अवसर भी मिले। पहले बड़े किसान भी गुलाबबाग मंडी आकर मक्का बेचते थे, पर रैक प्वाइंट आने के बाद वही बड़े किसान आढ़ती हो गये। रैक प्वाइंट खुला तो चाय-पान और नाश्ता की दुकानें भी खुलीं।

जिन मजदूरों को रोजाना काम के लिए पूर्णिया आना पड़ता था। उन्हें लोकल रैक प्वाइंट पर ही रोजाना काम मिलने लगे। थोक कारोबारियों को बड़ा फायदा यह हुआ कि पहले सिमेंट, चीनी, खाद आदि कटिहार तक आते थे और वहां से ढुलाई कर अपने गोदाम तक लाना पड़ता था पर अब सीधे वह पूर्णिया पहुंच रहा है जहां से ढुलाई खर्च भी कम लग रहा है।

ट्रेन की कनेक्टिविटी से बढ़ा रोजगार

बांका में 2007 में पटना के लिए पहली बांका इंटरसिटी ट्रेन का परिचालन शुरू हुआ. इसके पूर्व भागलपुर मंदार हिल रेलखंड पर ट्रेन के परिचालन शुरू था। 1960 के दशक में भागलपुर से बौंसी मंदारहिल के लिए मीटर गेज पसेंजर ट्रेन चलायी गयी। 55 वर्ष के बाद 28 सितंबर, 2016 को रेलखंड को दुमका व रामपुरहाट (बंगाल) तक को जोड़ा गया।

बांका का रेलवे के मानचित्र पर उभरने के साथ ही यहां के बौंसी मंदारहिल रेलखंड पर भागलपुर-दुमका पसेंजर ट्रेन, कविगुरु एक्सप्रेस, गोड्डा-रांची एक्सप्रेस, हमसफर एक्सप्रेस जैसी कई ट्रेने दौड़ने लगी। वहीं, बांका स्टेशन का भी विस्तार हुआ। बांका-देवघर रेलखंड पर करीब छह सालों बाद डीएमयू बांका-अंडाल पैसेंजर ट्रेन का परिचालन व ठहराव हुआ है। इस रेलखंड पर विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण होने के बाद से इलेक्ट्रिक इंजन युक्त अगरतला एक्सप्रेस का परिचालन शुरू हो गया।

Many trains started running on Bounsi Mandarhill railway line
बौंसी मंदारहिल रेलखंड पर दौड़ने लगी कई ट्रेनें

12 अप्रैल से देवघर टू सुल्तानगंज भाया चांदन, कटोरिया ट्रेन का परिचालन होना है। बांका में रेलवे की कनेक्टिविटी बढ़ने से रोजगार के अवसर बढ़े हैं। बांका का व्यापार झारखंड व बंगाल जुट गया है। मुख्य रूप से यहां के रूटों पर ट्रेन परिचालन से धार्मिक नगरी मंदार के अलावा बाबा भोले की नगरी बैद्यनाथ धाम, बासुकीनाथ, मलूटी मंदिर, बंगाल का तारापीठ, मसानजोर डैम तक पर्यटन व धार्मिक स्थल से जुड़ गये है। बांका में तैयार सिल्क के कपड़े को भी बाजार मिला है। झारखंड व बंगाल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को भी सुविधा हुई है। पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई है।

नयी रेल सुरंग चालू होने से ट्रेनों को मिली रफ्तार

पूर्व रेलवे के मालदा डिवीजन अंतर्गत जमालपुर-भागलपुर रेल खंड पर जमालपुर और रतनपुर रेलवे स्टेशनों के बीच एकमात्र सुरंग हुआ करता था। इसके कारण अप और डाउन दोनों रूट की ट्रेनों का परिचालन निर्बाध रूप से नहीं हो पाता था और एक दिशा की ट्रेन को सुरंग क्रॉस करने तक दूसरी दिशा की ट्रेन को समीप के दूसरे रेलवे स्टेशनों पर रोक कर रखा जाता था।

पिछले एक साल के दौरान जमालपुर और आसपास के क्षेत्रों में रेलवे द्वारा कई उल्लेखनीय कार्य किये गये। इनमें दूसरी सुरंग का निर्माण कार्य और मुंगेर रतनपुर के बीच सीधा संपर्क करने के लिए जमालपुर में बना वाई लेग शामिल है। इतना ही नहीं, इस रेलखंड का विद्युतीकरण कार्य पूरा कर लेने के कारण अब साहिबगंज लूप लाइन मुख्यधारा से जुड़ गया है।

Munger connected to Madhubani due to Wai Leg and Shri Krishna Setu
वाई लेग और श्री कृष्ण सेतु के कारण मधुबनी से जुड़ा मुंगेर

जमालपुर और रतनपुर रेलवे स्टेशनों के बीच पुरानी बरियाकोल सुरंग के समानांतर दूसरी नई रेल सुरंग बन जाने से साहिबगंज लूप लाइन पर अनेकों फायदे हुए हैं। दूसरी बात यह है कि दूसरी रेल सुरंग बन जाने से इस रेलखंड पर ट्रेनों की गति सीमा भी बढ़ी है। वर्तमान में यहां सात से आठ कंपनियों के सीमेंट स्टोन चिप्स और एफसीआई के खाद्यान्न की अनलोडिंग होता है।

जमालपुर में वाई लेग बनने से इस नये रेलमार्ग से अधिकतर माल गाड़ियों का परिचालन होता है, परंतु कई यात्री ट्रेनों के परिचालन भी सुगम हो गये हैं। वाई लेग और श्री कृष्ण सेतु के कारण मुंगेर का सीधा संपर्क समस्तीपुर-दरभंगा-मधुबनी से हो गया है। बेगूसराय और खगड़िया से तब जमालपुर का सीधा संपर्क बना है। वाई लेग बनने से तकनीकी फायदा यह हुआ है कि कोई भी ट्रेन इस मार्ग से बगैर जमालपुर पहुंचे सीधे मुंगेर के रास्ते खगड़िया या बेगूसराय जा सकती है। इसके कारण यात्रियों के समय की बचत हुई है।

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