Village where youths are not getting married

बिहार का ऐसा गांव जहां के युवाओं की नहीं हो रही है शादी, वजह हैरान करने वाली

आज के समय में जहाँ देश के सभी छोटे बड़े गावों में लोगो तक जरूरी सुविधाओं को पहुंचाने का प्रयास सरकार द्वारा किया जा रहा है ऐसे की कुछ ऐसे भी गांव हैं जो आजादी के इतने वर्षो बाद भी मूल सुविधाओं से वंचित है। जिसका परिणाम यह हो रहा है कि यहाँ के बच्चे बच्चियों कि शादी तक नहीं हो रही है। जानिए।

बिहार के गया में एक गांव ऐसा है जहां निवासी अपने बेटे-बेटियों की शादी नहीं करना चाहते। यहाँ तक की पुराने रिश्तेदारभी गांव में आना छोड़ दिया है।आजादी के 75 वर्षों के बाद भी इस गांव में सड़क और मूलभूत सुविधाओं का अभाव है।

A village in Gaya, Bihar
बिहार के गया में एक गांव

लोग नहीं करना चाहते इस गांव में शादी

थोड़ी सी वर्षा और कच्ची सड़क कीचड़ तब्दील हो जाती है। यही कारण है कि लड़की वाले ऐसे पिछड़े गांव में अपनी बेटी नहीं देना चाहते, वहीं लड़के वाले बारात लेकर आने से हिचकिचाते हैं। परिवार वाले मुश्किल से ही अपने बच्चो की शादी करा पाते हैं।

बिहार के गया जिला मुख्यालय से 50 किमी दूर गुरारू प्रखंड के बरोरह पंचायत के अलीगंज, महुगायींन, तरौंची और रौंदा गांवों में सड़कों का काफी अभाव है। स्थानीय ग्रामीणों में जनप्रतिनिधियों के प्रति आक्रोश तो है लेकिन वे कर भी क्या सकते हैं।

Village road turned into mud
गांव की सड़क कीचड़ में तब्दील

प्रतिनिधि वोट के लिए करते हैं गांव का रुख

विधानसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव, पंचायत चुनाव के समय वोट प्रतिनिधि वोट मांगने गांव में प्रवेश तो करते हैं। बदले में उन्हें कोरा आश्वासन देकर चले जाते है। लेकिन विकास कोई नहीं करता।

बरसात के दिनों में लोग अपने घरों में ही कैद होने को मजबूर है। गांव के कच्चे रास्ते पर सिर्फ कीचड़ भरा रहता है। गांव में अगर कोई बीमार पड़ जाए तो उसे खटिया पर लेटा कर चार लोग उठाकर अस्पताल पहुंचाते हैं।

मुलभुत सुविधाओं से भी वंचित हैं लोग

गांव के लोग सभी सरकार द्वारा चलाई जा रही सभी योजनाओं से भी वंचित है ऐसे में विकास की कल्पना कर पाना भी असंभव सा लगता है। लोग चापाकल और तालाब का पानी पीते हैं। उन्हें नल जल की सुविधा भी नहीं मिल सका है।

गांव के स्कूल की एक शिक्षिका ने बताया कि बारिश होने के बाद महिलाओं को सड़क पर चलने में भरी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बच्चे भी उसी कीचड़ में घुस कर पढ़ने आते है। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि अगर अक्टूबर तक सड़क का निर्माण नहीं हुआ तो सभी अनिश्चितकालीन हड़ताल करना होगा।

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