भारतीय सेना में जाने वालों में यूपी-बिहार वाले सबसे आगे, फिर भी लाखों पद है खाली, जाने कारण
देश में अब एक नया बवाल शुरू हो गया है। केंद्र सरकार की ‘अग्निपथ योजना’ के खिलाफ यूपी-बिहार से लेकर हरियाणा और राजस्थान तक युवा सड़कों पर उतर आए हैं।
इनमें से ज्यादातर वो युवा हैं जो सेना की तैयारी कर रहे हैं। इस योजना का सबसे ज्यादा विरोध बिहार में हो रहा है। बिहार में लगातार इसका विरोध हो रहा है। प्रदर्शन कर रहे युवा इस योजना को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं।
बिहार वो राज्य है, जहां के 1.04 लाख से ज्यादा जवान तीनों सेनाओं में हैं। इस मामले में बिहार दूसरे नंबर पर है। पहले नंबर पर उत्तर प्रदेश है, जहां के 2.18 लाख से ज्यादा जवान सेना में हैं। इनके बाद राजस्थान का नंबर आता है, जिसके 1.03 लाख जवान तीनों सेनाओं में हैं। इन सबके बावजूद सेना में लाखों पद अभी भी खली पड़े है और युवा अग्निपथ योजना का विरोध कर रहे है, आईये जानते है इसके पीछे क्या है कारण……….

तीनों सेनाओं में देशभर से 13.40 लाख से ज्यादा जवान
ये आंकड़े रक्षा मंत्रालय की ओर से संसद में दिए गए थे। पिछले साल 15 मार्च को राज्यसभा में सरकार ने बताया था कि तीनों सेनाओं में देशभर से 13.40 लाख से ज्यादा जवान हैं। इसमें उत्तर प्रदेश पहले, बिहार दूसरे, राजस्थान तीसरे, महाराष्ट्र चौथे और पंजाब पांचवें नंबर पर है।

सरकार की ओर से दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, थल सेना में 11.21 लाख जवान थे। जबकि, वायुसेना में 1.47 लाख से ज्यादा एयरमैन और अफसर थे। वहीं, नौसेना में 71,978 नौसेना और अफसर थे।
अहम सवाल अग्निपथ का विरोध क्यों?

– अग्निपथ योजना के विरोध के दो बड़े कारण सामने आ रहे हैं। पहला तो ये कि इसके तहत सिर्फ 4 साल के लिए सेना में सेवा का मौका मिलेगा। और दूसरा ये कि इसमें पेंशन का कोई प्रावधान नहीं है।
– बिहार के मुंगेर में प्रदर्शन कर रहे एक युवा ने न्यूज एजेंसी से कहा कि नियुक्ति की जो प्रक्रिया थी, अभी भी वही होनी चाहिए। इस योजना को वापस लिया जाना चाहिए और जल्द से जल्द परीक्षा कराई जानी चाहिए। कोई भी चार साल के लिए सेना में नहीं जाएगा।
– वहीं, जहानाबाद में एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि चार साल बाद हम कहां जाएंगे? 4 साल की सेवा के बाद हम बेघर हो जाएंगे। इसलिए हमने सड़कों पर जाम लगाया है। देश के नेताओं को अब पता चलेगा कि जनता सब जानती है।
– अभ्यर्थियों का कहना है कि अग्निपथ योजना के तहत चार साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर सेना में भर्ती किया जाएगा और फिर रिटायर कर दिया जाएगा। न ग्रैच्युटी मिलेगी और न ही पेंशन मिलेगी।
सेना में 2 साल से नहीं हुई भर्ती
– दरअसल, हर साल लाखों युवा सेना में जाने की तैयारी करते हैं, लेकिन कोरोना महामारी के कारण दो साल से सेना में भर्ती रुकी हुई है। भारतीय सेना में भर्ती के लिए सेना रैलियों का आयोजन करती है। इस रैली में युवा हिस्सा लेते हैं और उसके बाद कॉमन एंट्रेंस टेस्ट होता है।

– इसी साल 25 मार्च को लोकसभा में रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने बताया था कि 2020-21 में 97 रैलियां आयोजन करने की योजना थी, जिसमें से 47 रैलियां ही हुईं और सिर्फ 4 के लिए ही एंट्रेंस टेस्ट हुआ। वहीं, 2021-22 में 47 रैलियां करना था, लेकिन सिर्फ 4 ही हो सकीं और एक भी एंट्रेंस टेस्ट नहीं हुआ।
साल | रैलियां |
2017-18 | 106 |
2018-19 | 92 |
2019-20 | 95 |
2020-21 | 47 |
2021-22 | 04 |
– कोरोना के चलते जहां सेना में भर्ती अटकी रही, लेकिन नौसेना और वायुसेना में भर्ती जारी रही। 21 मार्च को राज्यसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया था कि दो साल तक सेना में भर्ती नहीं हुई, लेकिन इसी दौरान नौसेना में 8,319 और वायुसेना में 13,032 भर्तियां हुईं।
– भर्ती रुकी होने के कारण सालों से सेना में जाने की तैयारी कर रहे युवाओं के भविष्य पर भी तलवार लटक गई है। युवाओं का आरोप है कि उन्होंने फिजिकल और मेडिकल टेस्ट पास कर लिया है, लेकिन भर्ती परीक्षा नहीं होने से वो ओवरएज हो जा रहे हैं और बाद में वो सेना में भर्ती के लिए योग्य नहीं रहेंगे।
तीनों सेनाओं में अब भी लाखों पद खाली
पिछले साल 13 दिसंबर को रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने राज्यसभा में तीनों सेनाओं में अफसरों और जवानों की कमी की जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि सेना में 53,569 अफसर और 11.35 लाख जवान मौजूद हैं। अभी भी अफसरों के 7,476 और जवानों के 97,177 पद खाली हैं।

इसी तरह वायुसेना में 12,048 अफसर और 1.38 लाख एयरमैन हैं। अभी भी वायुसेना में 621 अफसरों और 4,850 एयरमैन की जरूरत है।
नौसेना में अफसरों के 11,100 पद हैं और अब भी 1,265 पद खाली हैं। इसी तरह से नौसेना में 63,515 नौसैनिक हैं और 11,166 नौसिनिकों की जरूरत और है।