बिहार के सभी विश्वविद्यालय में 3 साल के स्नातक में 5 व 2 साल के पीजी कोर्स में लग रहे 4 साल
बिहार के काॅलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है। नियमित पठन-पाठन की बात तो दूर पटना विश्वविद्यालय को छोड़कर हमारे बाकी विश्वविद्यालय समय पर परीक्षा लेने और रिजल्ट देने में भी फेल हैं। हालत यह है कि 3 साल के स्नातक कोर्स मेंं कम से कम 5 साल और 2 साल के स्नातकोत्तर कोर्स में कम से कम 4 साल लग रहे हैं। यानी जो डिग्री तीन साल में मिलनी चाहिए वह पांच साल और जो दो साल में मिलनी चाहिए वह चार साल में बमुश्किल मिल रही है। यही हमारे छात्रों की नियति बन गई है।
सत्र नियमित न होने के करण छात्रों को कॅरियर की दृष्टि से बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। जबकि, बिहार का सकल नामांकन अनुपात अब भी 19.3 फीसदी है। पूर्व वीसी प्रो. आरके वर्मा ने बताया कि यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम (यूएमआईएस) अगर पूरी तरह लागू हो जाता तो अनावश्यक देरी से विश्वविद्यालय बच जाते। 2018 में इसे लागू करने की शुरुआत हुई। पर, अब तक पूरी तरह लागू नहीं किया गया है।

छात्रों के भविष्य से ऐसा खिलवाड़ क्यों?
बिहार के कई विश्वविद्यालय ऐसे हैं, जहां स्नातक और पीजी में नामांकन प्रक्रिया दो सत्र तक लंबित है। ऐसे में छात्रों को वक्त पर डिग्री नहीं मिलेगी तो वे आगे कैसे बढ़ेंगे? अधिकतर भर्तियों में स्नातक न्यूनतम योग्यता है।

राज्य के बाहर के यूनिवर्सिटी में पीजी में दाखिला के लिए भी स्नातक की डिग्री चाहिए। लेकिन रिजल्ट में दो-दो साल की देरी ऐसे छात्रों के लिए न सिर्फ नौकरी के अवसर कम कर रही है बल्कि आगे पढ़ने की राह भी रोक रही है।
पूर्णिया यूनिवर्सिटी
बिहार में सबसे नवीनतम यूनिवर्सिटी पूर्णिया विश्विद्यालय जिसकी स्थापना 2018 में हुई है, वहां भी लेटलतीफी छायी हुई है। यूनिवर्सिटी के पीजी सत्र 2020-22 के प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा नामांकन के 12 महीने बाद जनवरी 2022 में आयोजित की गई थी जिसका रिजल्ट अभी तक जारी नहीं किया गया है। 2022 ख़त्म होने में मात्र 6 महीने का समय बाकी है और अभी इस सत्र के बाकि बचे 3 सेमेस्टर की परीक्षाएं भी बाकी है।

इस लेटलतीफी के कारण पूर्णिया यूनिवर्सिटी नए सत्र में पीजी में नामांकन भी नहीं ले रहा। पूर्णिया में विश्विद्यालय बन जाने से छात्रों को बीएनएमयू विश्विद्यालय के लेटलतीफी से रहत की उम्मीद थी, पर फिलहाल पूर्णिया यूनिवर्सिटी बीएनएमयू से इस मामले कहीं आगे निकलता हुआ दिखाई दे रहा है।
भागलपुर विश्वविद्यालय

वर्ष 2018-21 की स्नातक की फाइनल परीक्षा अभी कुछ दिन पहले हुई है। रिजल्ट नहीं आया है। वहीं 2019-22 की पार्ट वन की परीक्षा ही हो सकी है। पीजी सत्र 2021-23 में नामांकन भी नहीं हो सका है।
बीआरए बिहार विवि

स्नातक सत्र 2020-23 के किसी पार्ट की परीक्षा नहीं हुई है। सत्र 2019-22 का पार्ट वन का ही रिजल्ट आया है। पीजी के सत्र 2018-20 और सत्र 2019-21 भी क्लीयर नहीं हुए हैं।
पटना विश्वविद्यालय

यहां सत्र 3 से 6 माह ही लेट है। पीजी के सत्र 2021-23 में दाखिला मार्च 2022 में पूरा हुआ है। स्नातक में सत्र 2021-24 में दाखिला दिसंबर 2021 तक चला है। 2022-25 सत्र के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू है। वहीं नालंदा खुला विवि का सत्र 1 साल विलंब है।
वीरकुवंर सिंह विवि

सत्र 2018-21 यूजी पार्ट थर्ड की परीक्षा नहीं हुई है। सत्र 2019-22 के पार्ट टू और 2020-23 के पार्ट वन की परीक्षा लंबित है। यानी, स्नातक के सत्र कम से कम दो साल की देरी से चल रहे हैं। वहीं पीजी के 2020-22 सत्र के लिए अभी दाखिला प्रक्रिया चल रही है।
मगध विश्वविद्यालय

स्नातकोत्तर के सत्र 2021-23 में अभी तक नामांकन भी शुरू नहीं हो सका है। हालत यह है कि पीजी के सत्र 2018-20 की परीक्षा भी क्लीयर नहीं हो पायी है। इसी तरह स्नातक कोर्स के सत्र भी देर से ही चल रहे हैं।
पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय

पीजी का सत्र 2018-20 की परीक्षा भी पूरी नहीं हो सकी है। 2019-21 सत्र भी लटका हुआ है। स्नातक के सत्र भी विलंब से चल रहे हैं। सत्र 2021-24 के दाखिले की प्रक्रिया मार्च 2022 तक चली है।
शिक्षा मंत्री बोले – देरी बर्दाश्त नहीं

शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने सत्र विलंब से चलने पर कहा कि यह बर्दाश्त नहीं है। पिछले दिनों कुलाधिपति की अध्यक्षता में हुई बैठक में इसको लेकर दिशा-निर्देश दिए गए थे। समय पर कक्षा व परीक्षा सरकार की प्राथमिकता है। कोरोना के कारण भी परीक्षाओं में देरी हुई थी।