bhiaya bahani temple bihar

बिहार के इस गाँव में भाई बहन का अनोखा मंदिर, 500 साल पुराना है इसका इतिहास

सीवान में भाई-बहन का प्यार का प्रतीक भैया बहिनी का यह विख्यात मंदिर अपने आप में एक बड़ा इतिहास समेटे हुए हैं। रक्षाबंधन पर यहां भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। भाई-बहन इस ऐतिहासिक स्थल पर पहुंचकर माथा टेकते है और अपने रिश्ते में अटूट प्यार और खुशहाली का मन्नत मांगते है।

historical bhaiya bahini mandir
भाई-बहन का प्यार का प्रतीक भैया बहिनी का विख्यात मंदिर

हम बात कर रहे हैं सीवान जिले के दरौंदा प्रखंड स्थित भैया-बहिनी की। यहां के लोगों की मान्यता रहा है की 17वीं शताब्दी के मुगल शासन काल में एक भाई अपनी बहन को रक्षा बंधन के दो दिन पूर्व उसके ससुराल (भभुआ) से विदा कराकर डोली घर ले जा रहा था। भीखाबांध के समीप मुगल सैनिकों की नजर उनपर पड़ी।

bhaiya bahini mandir siwan
ऐतिहासिक भैया बहिनी मंदिर

मुगल सिपाहियों ने उसे मार डाला

मुगल सिपाहियों की नीयत खराब हो गई वे डोली को रोककर बहन के साथ बदतमीजी करने लगे इसपर भाई सिपाहियों से युद्ध करने लगा। सिपाहियों की संख्या अधिक होने के कारण भाई कमजोर पड़ गया।

Considering this soil as evidence, people worship brother and sister.
इसी मिट्टी को साक्ष्य मानकर लोग करते है भाई बहन की पूजा अर्चना

इसके बाद मुगल सिपाहियों ने उसे मार डाला। बहन खुद को असहाय देखकर भगवान को पुकारने लगी। कहा जाता है कि एकाएक धरती फटी और दोनों धरती के अंदर चले गए।

यह अब श्रद्धा का केंद्र

डोली लेकर चल रहे चारो कहारों ने भी बगल के कुएं में कूदकर अपनी जान दे दी थी। लोग कहते हैं कि जहां भाई-बहन धरती में समाए थे,वहीं दो बरगद के पेड़ उग आए। दोनों वट वृक्ष ऐसे हैं कि देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि भाई अपनी बहन की रक्षा कर रहा है।

Sister praying for brothers happiness and prosperity
भाई के सुख समृद्धि के लिए पूजा अर्चना करती बहन

वट वृक्ष काफी दूरी में फैला हुआ है। उस स्थान पर पहले मिट्टी का मंदिर बनाया गया। इसके बाद जैसे-जैसे मंदिर की महत्ता बढ़ी,बाद में श्रद्धालुओं ने पक्के मंदिर का निर्माण कराया यह अब श्रद्धा का केंद्र बन गया है।

पेड़ों में रक्षा बांधने की है परंपरा

Rakhi is tied here on the day of Rakshabandhan in Banyan tree.
वटवृक्ष में रक्षाबंधन के दिन यहां राखी बांधी जाती है

वटवृक्ष में रक्षाबंधन के दिन यहां राखी बांधी जाती है। बहनें यहां राखी चढ़ाकर भी भाइयों की कलाई में बांधती है। श्रावण पूर्णिमा और भाद्र शुक्ल पक्ष अनंत चतुर्दशी के दिन सीवान, सारण, गोपालगंज, पश्चिमी व पूर्वी चंपारण व पटना आदि जिलों के अलावे यूपी व झारखंड से भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु आकर पूजा-अर्चना करते हैं व मन्नतें मांगते है।

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