Bihars Hrithik Will Have Dinner With PM Modi

ओलिंपिक में गोल्ड जितने वाले बिहार के रितिक PM मोदी संग करेंगे डिनर, CM नितीश कुमार देंगे 15 लाख रुपये

बिहार के 18 साल के रितिक आनंद को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बुलावा आया है। वो 21 मई को उनके साथ डिनर करेंगे। उससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 19 मई को उन्हें सम्मानित करने के लिए बुलाया है।

खेल डीजी रवीन्द्रण शंकरण ने मीडिया को बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार डीफ ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट रितिक आनंद को 15 लाख रुपए प्रदान कर सम्मानित करेंगे। डीफ ओलिंपिक शूटिंग पार्टिशिपेशन के लिए अभिषेक को दो लाख रुपए दिए जाएंगे।

Chief Minister Nitish Kumar will honor Deaf Olympic Gold Medalist Hrithik Anand with Rs 15 lakh
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार डीफ ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट रितिक आनंद को 15 लाख रुपए प्रदान कर सम्मानित करेंगे

बिहार से अकेले थे रितिक

रितिक बिहार के हाजीपुर के रहने वाले हैं और इंटरनेशनल लेवल के डीफ बैंडमिंटन खिलाड़ी हैं। उन्होंने ब्राजील में आयोजित 24 वें डीफ ओलंपिंक 2022 में हिस्सा लिया और टीम इवेंट में गोल्ड मेडल जीता। देश भर से 8 बच्चे बैडमिंटन में गए थे।

Ritik participated in the 24th Deaf Olympics 2022 held in Brazil
रितिक ने ब्राजील में आयोजित 24 वें डीफ ओलंपिंक 2022 में हिस्सा लिया

बिहार से अकेले रितिक गए थे। देश भर के वैसे सभी बच्चों को प्रधानमंत्री का न्योता आया है जिन्होंने इस ओलंपिक में हिस्सा लिया था।

पिता ने कोचिंग पर काफी खर्च किया

आपको बता दें कि रितिक ने यूथ व्लर्ड डीफ बैंडमिंटनशिप 2019 में सिल्वर मेडल हासिल किया था। बैडमिंटन के दो इवेंट मिक्स्ड डबल और ब्वायज डबल में उन्होंने सिल्वर हासिल किया था। राज्य स्तरीय कई प्रतियोगिताओं में उन्होंने मेडल हासिल किया है।

Ritik won gold medal in team event at def olympics 2022
रितिक ने डीफ ओलंपिंक 2022 में टीम इवेंट में गोल्ड मेडल जीता

जानकारी के लिए बता दें कि तीन तरह के ओलंपिक का आयोजन होता है। एक तो सामान्य ओलंपिक है, दूसरा पैराओलंपिक है जिसमें दिव्यांग खिलाड़ी भाग लेते हैं, और तीसरा ओलंपिक डेफ ओलंपिक है जिसमें नहीं सुन सकने और नहीं बोल सकने वाले खिलाड़ी भाग लेते हैं।

इंडोनेशिया के कोच से ले रहे हैं बैंडमिंटन की कोचिंग

मीडिया ने रितिक आनंद के पिता उदय कुमार और मां अंजली सिंह से बात की। उन्होंने बताया कि उनका बेटा इन दिनों दिल्ली के सनराइज सटलर्स में बैंडमिंटन की कोचिंग इंडोनेशिया के कोच से ले रहे हैं। बिहार के मुजफ्फरपुर में बैडमिंटन की सुविधा है पर मूलभूत सुविधा का अभाव है। इसलिए बेटे को खेलने के लिए बाहर भेजा।

पिता बताते हैं कि रितिक पढ़ने-लिखने में सामान्य बच्चों से कमजोर था, इसलिए हीन भाव से ग्रस्त रहता था। मैं सूगर को मेंटेन करने के लिए बैडमिंटन खेलता था। बेटा भी साथ में प्रैक्टिस करने जाने लगा। वहां रेलवे के बैडिमिंटन प्लेयर ने बेटे को बैडमिंटन सिखाना शुरू किया।

इसके बाद दिल्ली के गोपीचंद इंस्टीच्यूट में रितिक को बैडमिंटन की कोचिंग के लिए दाखिला करवा दिया। लेकिन गोपीचंद की स्थिति जब बिगड़ी तो सनराइज सटलर्स में दाखिला करवाया। वे कहते हैं कि अभी भी बेटे को महीने का 30 हजार रुपए खर्च लगता है। एक रैकेट 12-13 हजार का आता है। जूता 10-12 हजार रुपए का आता है। वे कहते हैं कि सब कुछ अपने बल बूते किया। बेटे की इच्छा में पैसे को बाधा नहीं बनने दिया।

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