1 रुपये फीस लेकर 500 छात्रों को बनाया इंजीनियर, पहले पढाई फिर गुरु दक्षिणा, पढ़िए मैथ्स गुरु की पूरी कहानी
बिहार में एक ऐसे मैथ्स गुरु हैं जो गरीब बच्चों को महज 1 रुपए में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करवाते हैं। यही नहीं करीब 500 बच्चों को वो अब तक इंजीनियर भी बना चुके हैं। हम बात कर रहे हैं बिहार के रोहतास जिले के विक्रमगंज निवासी आरके श्रीवास्तव की। आरके श्रीवास्तव गूगल बॉय नाम से प्रसिद्ध कौटिल्य को भी पढ़ाते हैं। वे महज 35 की उम्र में देश और दुनिया भर में प्रसिद्ध हो चुके हैं। आईये जानते है उनकी पूरी कहानी।
आरके श्रीवास्तव 2008 से ही ये इंजीनियरिंग की पढ़ाई करा रहे हैं। उन्होंने अपना नाम ऐसा बनाया कि गूगल पर मैथमेटिक्स गुरु सर्च करने पर सबसे ऊपर नाम आता है। आरके अपना एक इंस्टीट्यूट बिक्रमगंज में ही ‘1 रुपए गुरु दक्षणा प्रोग्राम’ चलाते हैं। जहां सैकड़ों गरीब बच्चे मात्र 1 रुपए देकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते हैं। उनके इस संस्थान में और भी शिक्षक हैं जिसे आरके श्रीवास्तव ने नौकरी पर रखा है।

कैसे चलता है 1 रुपए से इनका परिवार?
शिक्षक श्रीवास्तव महज 1 रुपए लेकर पढ़ाते हैं तो इनका परिवार और जीवन यापन उस 1 रुपए में कैसे चलता है, ये सवाल बहुत से लोगो में मन में आता होगा। इसको लेकर मीडिया ने आरके श्रीवास्तव से बातचीत की और इस बारे में जाना।

तो शिक्षक ने बताया कि वे अपने गांव विक्रमगंज के गरीब बच्चों को 1 रुपए में पढ़ाते हैं। इन बच्चों को ये सारी सुविधाएं देने के लिए ये देश भर के सम्मानित और परिपूर्ण संस्थाओं में भी गेस्ट फैकल्टी के तौर पर पढ़ाते है। इसके बदले उन्हें वहां से पैसे मिलते हैं।
उन्होंने बताया कि वो देहरादून में मेधा क्लास, इंडियन पब्लिक स्कूल, गया के मगध सुपर 30, आरके सिंह के अवसर ट्रस्ट और हरियाणा के कौटिल्य कैंपस में भी पढ़ाते हैं।
1 रुपए में पढ़ाना कब से शुरू किया?
मीडिया ने जब आरके श्रीवास्तव से पूछा आखिर 1 रुपए में बच्चों को पढ़ने का आइडिया कहां से आया? तब उन्होंने बताया कि इनके पास एक गरीब परिवार के 3 भाई मुकेश, रूपेश और निकेश एक साथ पढ़ने आते थे।
तब आरके सभी बच्चों से 50 रुपए महीना लेते थे तो उन तीन भाइयों ने 2 महीने पढ़ने पर 1 ही महीने की फीस दी तो उन्होंने उससे कम पैसे देने का कारण पता किया। उन्हें पता चला कि उन तीन भाइयों ने अपनी मां के जेवर गिरवी रख कर पैसे दिए थे।

तब आरके ने उन तीनों भाइयों के पैसे वापस कर दिए। लेकिन वे तीनों फ्री में पढ़ने को तैयार नहीं थे। इसके बाद आरके ने तीनों से एक-एक रुपए लिए। तब उन्होंने सोचा की ऐसे कई परिवार होंगे जो पैसे की दिक्कत से पढ़ नहीं पाते होंगे।
तब से उन्होंने ये फैसला लिया और 1 रुपए में पढ़ाई करवाना शुरू कर दिया। और आज की तारीख में वे तीनों भाई मुकेश और रूपेश एयर फोर्स में है। और निकेश ओएनजीसी कंपनी में काम कर रहे हैं।
कम उम्र में संभाली घर की जिम्मेदारी
आरके जब 5 वर्ष के थे तब उनके पिता का देहांत हो गया था। इसके बाद उनके घर की जिम्मेवारी उनके बड़े भाई ने संभाली लेकिन साल 2014 में वो भी चल बसे। इसके बाद उनकी 3 भतीजियों समेत पूरे परिवार की जिम्मेवारी आरके के कंधों पर आ गई। तब से आरके ने अपने परिवार को संभाला।

अपनी दो भतीजी की शादी भी करवाई। उनका कहना है कि कुछ दिनों बाद अपनी तीसरी भतीजी की शादी करवाऊंगा। फिर अपनी शादी करूंगा। आरके श्रीवास्तव के नाम वर्ल्ड बुक रिकॉर्ड्स ऑफ लंदन, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स जैसे कई रिकॉर्ड्स में भी दर्ज हो चुके हैं।