बिहार की विरासत हमारा गौरव, चीन की दिवार से भी पुरानी है राजगीर की साइक्लोपियन वॉल
बिहार के अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर में एक ऐसी दीवार है जो चीन की दीवार से भी पुरानी है। करीब 40 किलोमीटर लंबी और मजबूत साइक्लोपियन वॉल ढाई हजार वर्ष पुरानी इंजीनियरिंग का नायाब नमूना है। आपको बता दे की राजगीर की पंच पहाड़ियों को जोड़ती इस दीवार का निर्माण नगर की सुरक्षा के लिए किया गया था। आईये जानते है इस दिवार के बारे में विस्तार से।
मान्यता है इस दीवार की नींव पूर्व महाभारत काल में बृहद्रथपुरी (वर्तमान राजगीर) के राजा बृहद्रथ ने राज्य की सुरक्षा के लिए रखी थी। बाद में उनके पुत्र सम्राट जरासंध ने इसे पूरा किया। अन्य इतिहासकारों के अनुसार यह मौर्यकालीन इतिहास का भी गवाह रही है। पाली ग्रंथों में भी इस सुरक्षा दीवार का उल्लेख है।

ऐतिहासिक है ये दीवार
कहा जाता है कि मगध साम्राज्य की राजधानी राजगृह की सुरक्षा के लिए दुनिया की सबसे विशाल दीवार बनायी गयी थी। इस ऐतिहासिक दीवार के 40 किमी दायरे में 32 विशाल और 64 छोटे प्रवेश द्वार थे। इनके जरिए ही शहर में प्रवेश किया जा सकता था। दीवार के हर 50 मीटर पर एक विशेष सुरक्षा चौकी तथा हर पांच गज पर सशस्त्र सैनिक तैनात रहा करते थे।

यह दीवार भारी पत्थरों से सूखी चिनाई पर बनी हुई है। जमावट ऐसी है, कि आज तक टस से मस नहीं हुई है। वर्तमान में यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के संरक्षण में है। एएसआई के मुताबिक यह दीवार 322 ईसा पूर्व में बनी थी।
40 किमी लंबी है दीवार
साइक्लोपियन वॉल का विस्तार नालंदा, गया व नवादा जिले की सीमा पर वनगंगा के दोनों ओर सोनागिरि व उदयगिरी पर्वत पर 40 किलोमीटर तक है। गया की ओर से राजगीर में प्रवेश करने के पहले काफी दूर से ही यह दीवार राजगीर के सुरक्षा प्रहरी के रूप में दिखती है।

रत्नागिरी, वैभारगिरी व विपुलांचलगिरी तक इसके अवशेष दिखते हैं। इसकी ऊंचाई चार मीटर तथा चौड़ाई लगभग 22 फीट है। हमारे बीच चीन की दीवार का तो जिक्र होता है, लेकिन साइक्लोपियन वॉल अभी भी दुनिया की नजरों से ओझल है।
विश्व धरोहर से जोड़ने की पहल

साइक्लोपियन वॉल राजगीर बस स्टैंड से सात किलोमीटर दूर है। इस ऐतिहासिक कलाकृति को देखने देश-विदेश के पर्यटक आते हैं। फिलहाल इस दीवार को देखने के लिए कोई एंट्री फीस नहीं लगती।

इस दीवार का अस्तित्व पौराणिक कथाओं और श्रीकृष्ण से भी जोड़ा जाता है। साइक्लोपियन वॉल को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल करने की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुहिम छेड़ रखी है। जिसके बाद विभागीय अधिकारी इसे विश्व धरोहर में शामिल कराने के लिए प्रयासरत हैं।