five daughters of milk seller mahavir yadav of jahanabad made example of success

दूध बेचने वाले की 5 बेटियां बनी मिसाल, 2 बनी अफसर तो तीसरी गुरु की भूमिका में, पढ़े इनकी कहानी

दूध बेचने वाले महावीर यादव की पांच बेटियों की कहानी प्रेरणा देने वाली गरीबी की बेडिय़ां तोड़ पांच बहनों ने गढ़ दी सफलता की कहानी। सविता बैंक पीओ निशा इनकम टैक्स अधिकारी और आभा शिक्षिका बन नारी सशक्तीकरण की मिसाल पेश कर रहीं। गरीबी की बेड़‍ियां तोड़ कर पांच बहनों ने अपने हौसलों के बल पर मुश्किलों से लड़कर अपने रास्ते खुद बनाए और आज नारी सशक्तीकरण की मिसाल बन चुकी हैं।

सविता हों या निशा या फिर अनुपमा, आभा और स्वीटी। इनके सामने हालात अनुकूल नहीं थे। गरीबी ने इनके पांव जकड़ रखे थे, पर इन्हें खुले आसमान में उड़ना था। तरक्की का सफर तय कर सफलता की कहानी लिखनी थी। गरीबी से संघर्ष करते हुए पांचों आगे बढ़ीं और मुकाम हासिल कर ही दम लीं। आज घर-परिवार और लोगों को इनपर नाज है।

Five daughters of milk seller Mahavir Yadav became an example
दूध बेचने वाले महावीर यादव की पांच बेटियां बनीं मिसाल

दूध बेचकर बेटियों को पढ़ाया

जहानाबाद जिले के सदर प्रखंड के मिश्र बिगहा जैसे छोटे से गांव की 5 बहनों में से सविता बैंक पीओ व निशा इनकम टैक्स अधिकारी बन चुकी हैं। बड़ी बेटी आभा कुमारी शिक्षिका हैं। दो बेटी अनुपमा और स्वीटी सिविल सेवा की तैयारी मेें जुटी हैं। इनके पिता महावीर यादव उर्फ हेलखोरी पशुपालक हैं, दूध बेचकर जीविका चलाते थे।

Taught daughters by selling milk
दूध बेचकर बेटियों को पढ़ाया

इसी में से कुछ पैसे बचाकर बेटियों की पढ़ाई पर खर्च करते थे। इनकी छह बेटियां और एक बेटा है। घर के कमाऊ सदस्य एकमात्र हलखोरी ही थे। लेकिन न तो कभी पिता और ना ही बेटियां विचलित हुईं। बेटियों ने अपनी प्रतिभा की जो चमक बिखेरी उससे घर में खुशहाली आ गई।

सिविल सेवा की तैयारी में जुटी बेटियां

महावीर यादव की बड़ी बेटी आभा कुमारी शिक्षिका हैं। दूसरी बेटी सविता कुमारी छपरा में बैंक पीओ के पद पर कार्यरत हैं। तीसरी बेटी निशा दिल्ली में इनकम टैक्स अधिकारी हैं। सबसे छोटी बेटी अनुपम यादव पीजी की डिग्री प्राप्त कर सिविल सेवा की तैयारी में जुटी हैं।

Daughters preparing for civil service
सिविल सेवा की तैयारी में जुटी बेटियां

स्वीटी कुमारी भी सिविल सेवा की तैयारी कर रही हैं। सरिता की पहले ही शादी हो चुकी है। वो दिल्ली में हैं। बेटा धमेंद्र कुमार उत्पाद इंस्पेक्टर हैं। गांव में कुछ खेतीबारी और दूध की बिक्री कर पिता ने सभी की परवरिश की।

हेलखोरी के जज्बे और इन बेटियों के लगन ने पशुपालक के जीवन स्तर को ही बदल कर रख दिया। बेटियों को पराई घर की अमानत समझ कर उपेक्षित करने वाले लोगों के लिए हलोखोरी की इन लाडलियों ने नया रास्ता दिखा दिया।

2 नवोदय से पढ़ी तो अन्य सभी ने घरों से ही प्राप्त की शिक्षा

अपने पिता के जज्बे को देख इन बच्चियों में कुछ करने की ललक बचपन से ही थी। छठी क्लास में ही सविता कुमारी और निशा नवोदय विद्यालय की परीक्षा में सफलता प्राप्त कर ली। 12 वीं तक दोनों बच्चियां जेठियन नवोदय विद्यालय में पढ़ीं। इसके बाद घर चली आई और जहानाबाद जिला मुख्यालय में आगे की पढ़ाई करने लगीं।

Mahavir Yadavs 2 daughters studied from Navodaya
महावीर यादव की 2 बेटियां नवोदय से पढ़ी तो अन्य सभी ने घरों से ही प्राप्त की शिक्षा

हालांकि गांव से जिला मुख्यालय की दूरी 5 किलोमीटर है। आने जाने के लिए कोई वाहन भी नहीं था। ऐसे में पशुपालक हलखोरी ने अपनी बच्चियों के लिए साइकिल खरीदी दी। उस समय गांव में लड़कियां साइकिल नहीं चलाती थीं। तब गांव के लोग तरह तरह की बातें करते थे, लेकिन पशुपालक की बेटियां अपनी ऊंची उड़ान की धुन में आगे बढ़ती रहीं।

घर में भी स्थाई तौर पर रहते थे एक शिक्षक

पशुपालक महावीर यादव पैसे के अभाव के बीच में भी घर में एक स्थाई तौर पर शिक्षक रखते थे, जो इन बच्चियों को बचपन से पढ़ाया करते थे। घर से सटी एक झोपड़ी में बच्चियों की कक्षा लगती थी। घर में चाहे जो भी अभाव हो लेकिन बेटियों की पढ़ाई में कोई व्यवधान न हो इसका पूरा ख्याल रखा जाता था। यही कारण है कि पशुपालक की बेटियां आज अपनी प्रतिभा की चमक बिखेर रही हैं।

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