Mushroom farming changed the fate of landless farmers

मशरूम की खेती ने बदली भूमिहीन किसानों की किस्मत, हर साल हो रहा है 40 से 50 लाख का कारोबार

सत्तरकटैया प्रखंड के विभिन्न पंचायतों एवं अन्य प्रखंड में मंडन भारती कृषि महाविद्यालय सह कृषि विज्ञान केंद्र अगवानपुर के वैज्ञानिकों की देखरेख में मशरूम की खेती और उसके उत्पाद की बिक्री स्थानीय बाजारों के अलावा दिल्ली और मुंबई के बाजारों में भी की जा रही है। दिल्ली और मुंबई के पांच सितारा होटलों में कोसी इलाके में उत्पादित मशरूम से खाने का जायका बदल रहा है।

विभिन्न तरह के उत्पाद मशरूम से बन रहे

मशरूम से विभिन्न तरह के उत्पाद तैयार किया जा रहे हैं। इसमें पापड़, आचार, बरी, भुजिया, बिस्किट आदि तैयार किए जा रहे हैं। सौर बाजार प्रखंड अंतर्गत ड़ौताखैम में भगवती मशरूम भुजिया उत्पादन केंद्र में तैयार भुजिया दिल्ली और मुंबई भी भेजा जा रहा है।

संचालक ने कहा कि व्यक्तिगत स्तर पर विपणन की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही मुन्ना मशरूम फार्म बैजनाथपुर सौर बाजार में आचार व बरी तैयार किया जाता है। बिहरा के राजकुमार पासवान एवं शशि देवी के यहां मशरूम का बिस्कुट तैयार किया जाता है। तैयार बिस्कुट को स्थानीय बाजार के अलावा महानगरों की दुकान भी भेजा जाता है।

पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी, आसनसोल, राजस्थान के बूंदी एवं कोटा में भी मशरूम के तैयार उत्पाद भेजे जा रहे हैं। किसान राहुल कुमार ने कहा कि अपने यहां तैयार उत्पाद यूपी के सहारनपुर, गाजियाबाद एवं आगरा भेजे जाते हैं।

हर साल होता है 40 से 50 लाख का कारोबार

मशरूम से तैयार उत्पाद का सालाना कारोबार 40 से 50 लाख का होता है। मशरूम का अचार तैयार करने में प्रति किलो लगभग ढाई सौ से तीन सौ लागत लगता है, जिसका बाजार मूल्य साढ़े पांच सौ से छह सौ के करीब है।

Different types of products are being made from mushrooms.
विभिन्न तरह के उत्पाद मशरूम से बन रहे

पापड़ निर्माण पर प्रति किलो दो सौ का खर्च आता है जिसकी बिक्री तीन सौ रुपये तक में होती है। बरी पर लागत 175 रुपया आता है वहीं बाजार में भाव तीन सौ रुपये हैं, भुजिया पर 175 प्रति किलो लागत और बाजार मूल्य 250 रुपये, बिस्कुट के खर्च से तैयार किया जाता है जिसे 350 से चार सौ में बेचा जाता है।

गूगल एवं यूट्यूब चैनल के जरिए प्रचार प्रसार कर उत्पाद की बिक्री की जाती है। आर्डर मिलते हैं पार्सल से समान संबंधित दुकानदार को भेज दिया जाता है ।

भूमिहीन किसान के लिए खुला किस्मत

बिहरा के किसान राजकुमार पासवान ने कहा कि भूमिहीन रहने के कारण मजदूरी कर अपने तथा अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे। हमेशा तंगहाली की मार से ही जूझना पड़ता था, मगर जब से मशरूम की खेती करना शुरु किया तो खुशहाल की जिंदगी जीने लगा हूं।

मशरुम की खेती कर रही बरहशेर पंचायत के कुम्हरा घाट के निवासी लालो देवी ने कहा कि 10 रुपये में सौ ग्राम मशरूम बीज और 10 रुपये के तीन किलोग्राम भूसा के अलावा पॉलिथीन, एक मीटर मीटर रस्सी , एक लीटर गरम पानी की लागत में ढाई किलोग्राम मशरूम का उत्पादन होता है।

जिसकी बाजार में कीमत तीन सौ रुपये मिल जाते हैं। उन्होंने बताया कि यह फसल भूमिहीन किसानों के लिए लाभप्रद है।

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