नेचर लवर है तो चले आये बिहार के शिमला में, स्वामी विवेकानंद और सत्यजीत रे भी रह चुके है यहाँ
आसमान से आग बरस रही है और बिहार के कई जिलों में तापमान 45 के पार है। इसी दौरान गर्मी की छुट्टियां भी हैं और बहुत सारे लोग ठंडी जगहों पर जाने का प्लान भी बना रहे हैं। कोई शिमला तो कोई श्रीनगर। कोई दार्जिलिंग तो कोई ऊंटी। मगर क्या आपको पता है कि बिहार में भी ऐसी जगह है जो पूर्व के समय में ‘बिहार का शिमला’ के नाम से जाना जाता था।

जी हां, बिहार प्रदेश के दक्षिण पूर्व अंतिम छोर पर बसा जमुई जिले के सिमुलतला को ‘मिनी शिमला’ के नाम से जाना जाता रहा है। पर्यटन को लेकर पूर्व के समय में सिमुलतला की खास पहचान रही है, क्योंकि अंग्रेजों के शासन काल से ही यहां सैलानियों का आना- जाना होता रहा। हिल स्टेशन के रूप में पहचान रखने वाला सिमुलतला बंगाली कोठियों के कारण भी मशहूर है।

बंगाली कोठियां बहुत पुरानी
एक समय यहां साढ़े तीन सौ से अधिक बंगाली लोगों की कोठियां थीं, जो अब लगभग डेढ़ सौ बची हैं। ये बंगाली कोठियां बहुत पुरानी हैं। अंग्रेजों के समय बनी इन बंगाली कोठियों में आकर लोग रहा करते थे। यहां अंग्रेजी सरकार के प्रथम भारतीय लॉर्ड एसपी सिन्हा की भी कोठी है।

पहाड़ियों से घिरी वादियों के बीच सिमुलतला
इसके अलावा छोटी रेल लाइन से ताल्लुक रखने वाले आरएन मुखर्जी की भी कोठी यहां मौजूद है। इन कोठियों में लोग हॉलिडे मनाने और स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए आते थे। हालांकि कई कोठियां बिक गईं, लेकिन आज भी पहाड़ियों से घिरी वादियों के बीच सिमुलतला सबको भाता है।

स्वामी विवेकानंद ने किया था प्रवास

सिमुलतला वैसे ही खास नहीं है, स्वामी विवेकानंद की तबीयत जब बिगड़ी थी तब उन्होंने यहां प्रवास किया था। सिमुलतला के पानी के बारे में कहा जाता है कि यहां हल्दिया झरना का पानी पेट के लिए लाभदायक है। इंसान कुछ भी खाता है कुछ ही देर में उसे फिर भूख लग जाती है।

सिमुलतला के मुख्य आकर्षण केंद्र में से एक लट्टू पहाड़ पर स्वामी विवेकानंद ने ध्यान लगाया था। स्वास्थ्य लाभ के लिए पहुंचे स्वामी विवेकानंद ने यहां कई दिनों तक प्रवास किया था।

स्वामी विवेकानंद की यात्रा के कारण उनके मानने वालों ने यहां पर रामकृष्ण मठ का भी निर्माण किया था। इसके अलावा पहाड़ियों के बीच हल्दिया झरना और पत्थर का बना सिकिटिया आश्रम भी है।
आकर्षण का मुख्य केंद्र लालडेंगा हाउस
सिमुलतला हिल स्टेशन पर लालडेंगा हाउस आकर्षण का मुख्य केंद्र है। बताया जाता है कि बांग्लादेश के नालडेंगा राजबाड़ी किले की तर्ज पर वहां के राजा ने लालडेंगा हाउस का निर्माण किया था, जो आज खंडहर है, बावजूद इसके वह आकर्षण का केंद्र है।

यहां कई फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है। 52 कमरों और 53 दरवाजे वाले इस किले की अपनी पहचान है, लेकिन उपेक्षित होने के कारण यह किला अब जमींदोज होने के कगार पर है।
हो चुकी है कई हिंदी फिल्म कि शूटिंग
सिमुलतला की वादियों और कोठियों में कई बंगाली और हिंदी फिल्म कि शूटिंग हो चुकी है। फिल्मकार सत्यजीत रे और दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित फिल्मकार बीएन सरकार ने अपनी कई फिल्मों की शूटिंग यहां पर की है।

देश की आजादी के पहले जब कोलकाता ब्रिटिश हुकूमत का केंद्र था तो अक्सर बंगाली अधिकारी अपनी छुट्टियां मनाने यहीं आया करते थे। अब तो सिमुलतला की एक और बड़ी पहचान बन गई है।

यहां बिहार सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट नेतरहाट की तर्ज पर 2010 में स्थापित सिमुलतला आवासीय विद्यालय है जिसे टॉपर्स की फैक्ट्री कहा जाता है।