Sinni Sosya makes Mithila paintings on Rajdhani Express

बिहार की बेटी बनाती है राजधानी एक्सप्रेस पर मिथिला पेंटिंग्स, मेहंदी के कोन से लिखी कामयाबी की कहानी

आपको राजधानी एक्सप्रेस की बोगियों पर बनी मिथिला पेंटिंग्स जरूर उत्साहित करती होंगी। इन पेंटिंग्स में पतंग से लेकर हवाई जहाज उड़ाने वाली लड़की की पूरी कहानी कही जाती है। इसके साथ ही ये पेंटिंग्स इन्हें बनाने वाली एक बेटी की कामयाब कहानी को बयां करते हैं। 2017 में जब उन्होंने ट्रेन की बोगियों पर अपनी इस कल्पना को उकेरा था तब वह मात्र 23 साल की थी। नाम है सिन्नी सोश्या

28 साल की वो लड़की आज फाइन आर्ट्स की दुनिया में एक जाना-पहचाना नाम है। उनका 3 स्टूडियो (दो पटना और एक बेगूसराय में) है। हर महीने वो 3 लाख रुपए सैलरी और किराया देती हैं। यही नहीं वह दो दर्जन से ज्यादा लड़कियों को रोजगार दे रही हैं। देश की राजधानी दिल्ली से लेकर न्यूयॉर्क तक में उनकी पेटिंग्स और प्रोडक्ट्स की डिमांड है।

Identity made from Sinni Soshya Mithila Paintings
सिन्नी सोश्या मिथिला पेंटिंग्स से बनाई पहचान

डॉक्टर बनने का था सपना

बचपन से डॉक्टर बनने का ख्वाब देखने वाली सिन्नी को यहां तक पहुंचने के लिए पहले समाज से और फिर अगले कदम पर गरीबी से तथा आखिर में परिवार से एक लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी। सिन्नी कहती हैं कि वो डॉक्टर बनना चाहती थी।

Sinni Soshya a well-known name in the fine arts world
सिन्नी सोश्या, फाइन आर्ट्स की दुनिया में एक जाना-पहचाना नाम

ताकि उनकी नर्स मां को उसके ऊपर फक्र हो सके, लेकिन तब उसके पिता के पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वो मेडिकल कॉलेज की फीस चुका सके।

दोस्त के कारण पहुंची फाइन आर्ट्स कॉलेज

सिन्नी ने बताया कि जब मेडिकल की पढ़ाई का सपना टूटा तो उस वक्त जीने की चाह भी समाप्त हो गई थी। वह कहती हैं कि 2013 की बात है, एक दोस्त आर्ट्स में एडमिशन कराने की बात कहकर कॉलेज ले आई। तब पहली बार कला एवं शिल्प महाविद्यालय में एंट्री की थी। वह एडमिशन का आखिरी दिन था।

Sinnis painting in Rajdhani Express
राजधानी एक्सप्रेस में सिन्नी की पेंटिंग। इसमें एक औरत का जीवन दर्शाया गया है।

उन्होंने तभी तय कर लिया कि दोस्त के सा‌थ वो भी इस कोर्स को करेंगी। जब घर में बताया तो सभी एक साथ विरोध करने लगे। वो इसमें स्कोप नहीं कह कर बैंकिंग की तैयारी की सलाह देने लगे। लेकिन इस बार वह अपने फैसले पर अडिग हो गई।

फीस चुकाने के लिए मेंहदी लगाने लगीं

एडमिशन लेने के बाद सबसे बड़ी चुनौती कॉलेज की फीस चुकाना था। हालांकि, फीस मामूली 5 हजार रुपए था, लेकिन फैमिली पर बोझ न बने इसके लिए उन्होंने दुल्हन को मेंहदी लगाने का काम शुरू किया। इससे उनके कॉलेज का खर्च निकल जाता था।

Sinni is giving employment to more than two dozen girls
दो दर्जन से ज्यादा लड़कियों को सिन्नी रोजगार दे रही हैं।

इसके बाद लोगों ने ताना देना शुरू कर दिया था कि आर्टिस्ट बनने गई थी मेंहदी लगाने वाली बन गई। बाद में यही उनकी सबसे बड़ी पहचान बन गई।

जो कभी ताना मारते थे आज तारीफ करते नहीं थकते

सिमी कहती हैं कि उनकी कामयाबी की असली लड़ाई मां ने लड़ा। केवल तीन बहनें होने के कारण समाज के लोग अक्सर उन्हें ताना मारते थे। आशीर्वाद देने के बजाए भाई नहीं होने की कमी जताते थे।

Along with wall paintings Sinni also does fabric paintings
सिन्नी वॉल पेंटिंग्स के साथ फैब्रिक पेंटिंग्स भी करती है।

बहनों का जीवन प्रभावित न हो इसके लिए उनकी मां ने संघर्ष और त्याग कर उनकी बहनों का जीवन संवारा। वो कहती हैं कि उनकी मां के त्याग का ही परिणाम है कि कभी ताना देने वाले आज उनकी सराहना कर रहे हैं।

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