Story of becoming a duck keeper from sand artist of Bihar

बिहार के सैंड आर्टिस्ट से बत्तख पालक बनने की कहानी, 10 हजार से शुरू 2.5 लाख तक पंहुचा कारोबार

पूरी दुनिया को वैश्विक महामारी कोरोना ने कई तरह का सबक दे दिया। किसी ने अपने प्रियजनों को खोया तो किसी ने अपना नौकरी खो दिया। इसी तरह कोरोना से प्रताड़ित एक कहानी है छपरा के अशोक कुमार की। बहुमुखी प्रतिभा के धनी अशोक कुमार राष्ट्रीय स्तर के सैंड आर्टिस्ट के साथ फाइन आर्ट पेंटर हैं। अशोक बिहार सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त सफल प्रशिक्षित गोताखोर भी है।

कोरोना में सारे व्यवसाय और आमदनी ठप हो जाने पर अशोक ने बतख पालन का शुरुआत किया है। अपने और अपने परिवार वालों का भरण-पोषण के लिए बतख पालन को जरिया बनाया है। लगभग 600 संख्या में बतख के अंडे बेचकर परिवार वालों को दो समय का भोजन उपलब्ध करा रहे हैं।

Ashok started duck farming
अशोक ने बतख पालन का शुरुआत किया

सभी बतख खाकी कैंपबेल डक प्रजाति के हैं

अशोक ने विशेष प्रजाति खाकी कैंपबेल डक प्रजाति के बतखों का पालन किया है। इस प्रजाति में कई तरह की विशेषता पाई जाती है। बतख और लालसर चिड़िया के मिश्रित प्रजाति पूरे साल में 300 से ज्यादा अंडे देती है। इस प्रजाति का मांस भी अन्य बतखों से स्वादिष्ट होता है। आत्मरक्षा में यह बतख अन्य बतखों से ज्यादा उड़ भी सकती है।

All ducks belong to the Khaki Campbell duck species
सभी बतख खाकी कैंपबेल डक प्रजाति के हैं

राष्ट्रीय स्तर के कलाकार को सरकार के उपेक्षा से है अफसोस

अशोक राष्ट्रीय स्तर के कलाकार है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी अशोक बिहार के एकमात्र सैंड आर्टिस्ट है। फाइन आर्ट और नेकेड बॉडी पेंटिंग के साथ बिहार सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त गोताखोर भी है। जिला प्रशासन से लेकर राज्य के अधिकारियों द्वारा विभिन्न समय पर इनसे सेवा भी लिया जाता रहा है।

अशोक अभी तक हजारों जिंदा, मुर्दा लोगों का शव विभिन्न नदी तालाब में से निकाल चुके है। लेकिन सरकार द्वारा मदद और सुविधा के सवाल पर भरे मन से अशोक ने बताया कि सरकार किसी कलाकार की जिंदा में सुध नहीं लेती मृत्यु के बाद तमाम तरह के योजना और सुविधा का घोषणा कर देती है।

10 हजार आज ढाई लाख रुपए की पूंजी तक पहुंचा कारोबार

अशोक ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि कोरोना में सभी काम धंधे ठप्प हो गए। मैं भूमिहीन कटाव पीड़ित हूं। रोजाना कमाने और खाने वालों के लिए यह बेहद कठिन समय था। पेन्टिंग ऐग्जीबिशन से लेकर सैंड आर्ट और गोताखोरी पर ग्रहण लग जाने से सभी आमदनी बंद हो गई।

परिवार वालों को खाने पर लाने पड़ने लगे। यूट्यूब पर देखकर बतख पालन के लिए दिमाग में आईडिया आया। दोस्तों से 10 हजार कर्ज लेकर चूजे खरीदा और पालन शुरू किया। धीरे धीरे आमदनी होता गया और बतखों की संख्या बढ़ाते गया। आज लगभग 600 के संख्या में बतख है। 10 हजार से शुरू किया व्यवसाय एक वर्ष में 2.5 लाख के करीब है।

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