शादी से पहले होती है नाव की बात, बिहार के इन गांवों में दामाद को नाव देने का अनोखा रिवाज
जिस लड़के के घर में नाव होती है, वहीं पिता अपनी बेटी की शादी करते हैं। जिस लड़के के पास नाव नहीं होती है वहां शादी नहीं करते, अगर लड़का पसंद आ गया तो उसे उपहार में नाव भी देते हैं। यह परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। कटिहार जिले के अमदाबाद प्रखंड के 14 ऐसे गांव हैं, जो साल में 4 माह तक बाढ़ से घिरे रहते हैं।
आवागमन के लिए मात्र नाव ही है सहारा
इस प्रखंड से होकर महानंदा और गंगा नदी गुजरती है। बाढ़ के दिनों में आवागमन के लिए मात्र नाव ही सहारा होता है। इसलिए बेटी वाले सुरक्षा की दृष्टि से ऐसा करते हैं। ग्रामीण का कहना है कि बाढ़ आने के बाद वह लोग 4 महीने तक चारों और पानी से घिरे रहते हैं।
कई मुख्य सड़कें बाढ़ में बह जाती है तो कई 4 माह तक डूबी रहती हैं। ऐसे में बिना नाव के कहीं भी आना जाना संभव नहीं है। इसीलिए ज्यादातर वह लोग अपने घरों में लकड़ी या टीन की नाव रखते हैं।
नाव नहीं रहने से टूटा था पोते का रिश्ता
मेघु टोला गांव के भोला सिंह के यहां भी लड़की वाले आए, सबकुछ पसंद भी आया, लेकिन नाव नहीं रहने से शादी टूट गया। भोला सिंह ने कहा कि पोते की शादी का रिश्ता जिले के मनसाही प्रखंड के बंगुरी टाल गांव में ठीक हुई थी। लड़की के परिजनों ने घर में नाव के बारे में पूछा। मेरे पास नाव नहीं थी, इसलिए लड़की वालों ने रिश्ता टोर दिया।
उपहार स्वरूप भेंट की नाव
भगवान टोला के रतन सिंह ने कहा कि पश्चिम बंगाल के मथुरापुर में अपने बेटे की शादी की।संबंध जोड़ने से पहले मेरे पुत्र वधू के परिजनों ने ग्रामीण और आसपास के लोगों से पता किया कि मेरे पास नाव है या नहीं।
उन लोगों को पता चला कि मेरे पास नाव नहीं है। उन्हें मेरा बेटा काफी पसंद था और रिश्ता छोड़ना नहीं चाहते थे। तो उन्होंने पहले उपहार स्वरूप नाव भेंट की, तब मेरे यहां शादी की।
ये 14 गांव 4 महीने तक घिरे रहते हैं बाढ़ से
हरदेव टोला, चौक चामा, भगवान टोला, घीसु टोला, मेघु टोला, लक्खी टोला, नया टोला गोविंदपुर, गदाई दियारा, गोपी टोला, गोविंदपुर बाहर साल, भारत टोला, कीर्ति टोला, घेरा गांव, मुरली राम टोला।