सिविल इंजीनिरयरिंग छोड़ यश ने शुरू की स्ट्राबेरी की खेती, बेच चुके तीन लाख का स्ट्राबेरी
बिहार के बांका के यश की जिंदगी में स्ट्राबेरी की मिठास ऐसे घुलेगी ये उसने सोचा भी नहीं था। हां एक बार इसकी खेती की और जब बेहतर परिणाम मिला तो उसने स्ट्राबेरी की खेती के लिए कदम बढ़ाने शुरू कर दिए। बिहार के बांका जिले के अमरपुर प्रखंड के रघुनाथपुर के युवा किसान की जिंदगी में स्ट्राबेरी की लाली मिठास घोल रही है। इन्होंने इस बार डेढ़ बीघा जमीन में स्ट्राबेरी की खेती की शुरूआत की। एक से डेढ़ माह में अब तक लगभग तीन लाख का स्ट्राबेरी बेच चुके हैं। इनकी सफलता देख आस-पास गांव के किसान अब इनकी खेती देखने आते हैं।
युवा किसान यश कुमार बताते हैं, कि वे बेंगलुरु से सिविल इंजीनिरयरिंग की पढ़ाई कर रहे थे। लेकिन पढ़ाई में मन नहीं लग रहा था। उनकी जिज्ञासा खेती के प्रति बचपन से ही थी। उन्होंने थर्ड इयर में इंजीनियङ्क्षरग की पढा़ई वर्ष 2018 में छोड़ गांव में आधुनिक खेती करने लगे। खेती में इना मार्गदर्शन इनके पिता और यूट्यूब ने किया। किसान बताते हैं कि वर्ष 2019 में उन्होंने सब्जी की खेती के लिए उद्यान विभाग की मदद से एफएडडी लगाया। जहां सालों भर बिन मौसम की सब्जी की खेती की।
डेढ़ एकड़ में ड्रीप लगाकर शुरू की स्ट्राबेरी की खेती
पिछले साल अगस्त माह से स्ट्राबेरी की खेती के लिए खेत को तैयार किया। खेत में मिट्टी डलबाने के साथ ही पानी के लिए ड्रिप भी लगवाया। इसमें मल्चिंग विधि से स्ट्राबेरी की खेती की है। इसका फलन काफी अच्छा है।
पूणे से मंगाया पौधा
स्टाबेरी की कई किस्म है। किसान बताते है कि उन्होंने विंटरडान किस्म का पौधा पूणे से मंगाया है। स्ट्राबेरी की फसल मार्च-अप्रैल तक चलती है। अगर इस फल के दाम इसी तरह बने रहते हैं, तो किसानों को लागत से छह गुना तक कमाई होने का अनुमान है। स्ट्राबेरी का उत्पादन बेहतर होने से उत्साहित यश कुमार इस साल पहले से भी ज्यादा क्षेत्र में खेती करने की तैयारी कर रहे हैं।
भागलपुर, बांका ओर रांची में हो रही बिक्री
बताया कि लगभग 10 क्विंटल स्ट्राबेरी बेचा है। थोक भाव में तीन सौ रुपया प्रति किलो कीमत मिल रही है। इसके फल को बेचने में कोई परेशानी नहीं होती है। हमारा ज्यादातर फल भागलपुर ओर बांका में ही बिक रहा है।