Gaya junction will become like airport

एयरपोर्ट जैसी बनेंगी गया जंक्शन, लगाए जाएंगे तीन सौ करोड़

धार्मिक एवं पर्यटन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बिहार के गया जंक्शन को विश्वस्तरीय स्टेशन बनाने के लिए करीब 300 करोड़ रुपये से पुनर्विकास कार्य शुरू कर दिया गया है। जिसके लिए रेलवे स्टेशन के मालगोदाम एरिया में पुनर्विकास किया जाएगा। और इसके साथ ही डेल्हा साइड में आरक्षण काउंटर बनाने का काम शुरू हो गया है।

नये वर्ष में अब डेल्हा साइड में भी रेलयात्रियों को टिकटघर के साथ आरक्षण काउंटर की सुविधा मिलेगी। जिसके लिए हर स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। भवन बनाने के लिए टेंडर भी कर दिया गया है।

गया जंक्शन को वर्ल्ड क्लास स्टेशन के साथ-साथ सबसे पहले डेल्हा साइड में प्रवेश-निकास द्वार बनाया जाएगा। इसे वर्ष 2024 के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य दिया गया है। पुनर्विकास से जुड़े कार्य पूरा होने के बाद यात्रियों को एयरपोर्ट जैसी सुविधाएं मिलेगी।

तीर्थयात्रियों के लिए किया जाएगा अलग भवन का निर्माण

गया जंक्शन पर रेलयात्रियों के स्टेशन पर आगमन और प्रस्थान के लिए अलग-अलग भवन का निर्माण किया जाएगा। वहीं तीर्थयात्रियों के लिए अलग भवन का निर्माण किया जाएगा। वर्तमान की तुलना में मुख्य स्टेशन भवन के लिए 2.35 गुना अधिक जगह तथा पार्किंग एरिया के लिए 4.9 गुणा अधिक जगह उपलब्ध की जाएगी।

Separate buildings will be constructed for arrival and departure at Gaya Junction.
गया जंक्शन पर आगमन और प्रस्थान के लिए अलग-अलग भवन का निर्माण किया जाएगा

इसके साथ ही प्रतीक्षालय के लिए अतिरिक्त 6400 वर्गमीटर एरिया, स्टेशन पर 23 लिफ्ट एवं 11 एस्केलेटर की सुविधा, मौजूदा 3100 वर्गमीटर प्लेटफार्म क्षेत्र और एफओबी का उन्नयन,अतिरिक्त टिकटिंग सुविधा, दिव्यांग अनुकूल सुविधाएं, ग्रीन ऊर्जा के लिए स्टेशन भवन पर सौर पैनल, वाटर रिसाइक्लिंग प्लांट, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन एवं अग्निशमन आदि की व्यवस्था की जाएगी।

विकास कितना लाभदायक है

संरक्षा के साथ ट्रेनों की रफ्तार में बढ़ोत्तरी, संरक्षित ट्रेन संचालन में ट्रेनों की गति तेज करने और सुरक्षित सफर के लिए सिग्नल सिस्टम को मजबूत बनाने की दिशा में डीडीयू जंक्शन-मानपुर व मानपुर-प्रधानखंटा  रेलखंड पर स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली को मजबूत किया जाएगा।

इससे ट्रेनों के आवागमन में काफी आसानी होने के साथ ही यात्रियों को भी बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी। आटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम के लागू हो जाने से एक ही रूट पर एक किमी के अंतर पर एक के पीछे एक ट्रेनें चल सकेंगी।

इससे रेल लाइनों पर ट्रेनों की रफ्तार के साथ ही संख्या भी बढ़ सकेगी। स्टेशन यार्ड से ट्रेन के आगे बढ़ते ही ग्रीन सिग्नल मिल जाएगा। यानी एक ब्लाक सेक्शन में एक के पीछे दूसरी ट्रेन आसानी से चल सकेगी। इसके साथ ही ट्रेनों के लोकेशन की जानकारी मिलती है।

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