बिहार में 71 हजार स्कूलों के बच्चों के खाते में आने वाले हैं इतने रुपए, मिलेगा एमडीएम का अनाज भी
बिहार में लाखों स्कूली बच्चों और उनके अभिभावकों के बैंक खाते में जल्द ही सरकार विशेष राशि ट्रांसफर करने वाली है। यह रकम पोशाक, छात्रवृत्ति, साइकिल और किताब के लिए मिलने वाली राशि से अलग होगी। राज्य सरकार के शिक्षा विभाग ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है। राज्य में तकरीबन 71 हजार सरकारी प्रारंभिक विद्यालयों की पहली से आठवीं कक्षा के बच्चों को 34 दिनों के मिड डे मील के अनाज और उसे पकाने के पैसे मिलेंगे। राशि डीबीटी के जरिये बच्चों के खाते में जाएगी।
इस संबंध में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने निर्देश दे दिए हैं। बच्चों को 16 नवंबर से 31 दिसंबर तक 34 कार्य दिवसों के लिए मिड डे मील के खाद्यान्न एवं उसे पकाने के पैसे दिए जाने हैं।
क्या है मध्याह्न भोजन योजना?
मध्याह्न भोजन योजना, भारत सरकार की एक योजना है, जिसके अन्तर्गत पूरे देश के प्राथमिक और लघु माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों को दोपहर का भोजन निःशुल्क प्रदान किया जाता है। मध्याह्न भोजन बच्चों के लिए ” पूरक पोषण ” के स्रोत और उनके स्वस्थ विकास के रूप में भी कार्य कर सकता है।
पहली से आठवीं कक्षा के बच्चों को मिलेंगे अनाज और उसे पकाने के पैसे
आपको बता दें कि कोविड संक्रमण के कारण स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना को शुरू नहीं किया गया है। इसके कारण सरकारी स्कूलों में आने वाले बच्चों को दोपहर के वक्त का खाना नहीं मिल पाता है। सरकार ने तय किया है कि योजना के तहत खर्च होने वाला अनाज बच्चों के परिवार को ही दे दिया जाएगा। साथ ही इसे पकाने पर होने वाला खर्च भी उन्हें दिया जाएगा।
छठी से आठवीं के बच्चों को मिलेंगे 253 रुपए
पहली से पाचवीं तक के बच्चों को प्रति कार्य दिवस 100 ग्राम खाद्यान्न की दर से 34 कार्य दिवस के लिए 3.400 किलो एवं छठी से आठवीं के बच्चों को प्रति कार्य दिवस 150 ग्राम की दर से 5.100 किलो खाद्यान्न दिए जाएंगे। इसी प्रकार मिड डे मील पकाने के मद में पहली से 5वीं तक के बच्चों को प्रति कार्य दिवस 4.97 रुपये की दर से 169 रुपये एवं छठी से आठवीं के बच्चों को प्रति कार्य दिवस 7.45 रुपये की दर से 253 रुपये दिए जाएंगे।