बिहार में अब नहीं होगी बालू की किल्लत, 84 घाटों के विस्तार की तैयारी, डिस्ट्रिक्ट सर्वे रिपोर्ट तैयार
बिहार में अगले कुछ सालों तक बालू घाटों की नीलामी में दिक्कत नहीं आएगी। इस कारण बालू के किल्लत की आशंका भी कम है। इसके लिए बिहार सरकार 84 महत्वपूर्ण बालू घाटों की पर्यावरण मंजूरी की अवधि विस्तार की तैयारी कर रही है। पिछले 11 अप्रैल को हुई बैठक में स्टेट इनवायरमेंटल एक्सपर्ट अप्रेजल कमेटी ने शर्तों के साथ इसकी अनुशंसा कर दी है। आगे पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकार इसपर अंतिम मुहर लगाएगा।
पर्यावरण मंजूरी के अवधि विस्तार से कुछ सालों के लिए बालू घाटों की नीलामी में दिक्कत नहीं है। वहीं नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल या दूसरी अदालतों में पर्यावरण कानूनों के उल्लंघन के मामलों का सामना करने की आशंका कम हो जाएगी। ज्ञात हो कि वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत प्रदेश में बालू घाटों की नीलामी हो रही है।
डिस्ट्रिक्ट सर्वे रिपोर्ट तैयार
इसलिए आगामी नीलामी से पहले राज्य सरकार के अधिकारी सारी कानूनी प्रक्रिया को पूरी कर लेना चाहते हैं। ताकि कोई अड़चन नहीं आए। पर्यावरण मंजूरी के अवधि विस्तार के लिए चुने गए सभी 84 बालू घाट राज्य की जरूरत का बड़ा हिस्सा पूरा करते हैं। पहले इनका डिस्ट्रिक्ट सर्वे रिपोर्ट तैयार किया गया है।
इन बालू घाटों का होगा पर्यावरण मंजूरी अवधि विस्तार
पटना जिला – रागनियाडीह, बहादुरगंज, जरखा, महाबलीपुर, रामपुर वाइना, महुआर, देवदाहा, मसाढ़ी, पाभेरा, सतपरसा, तिकुल, रूपापुर, आनंदपुर, रानीतालाब, खिरोधारपुर, रानीपुर, चकमिकी, आदमपुर, सिकंदरपुर, समनपुरा
अरवल जिला – छपरा, सोहसा, चपरा, खैरा, मगलापुर, मसदपुर, सोनभद्र
गया जिला – सादीपुर, तिनेरी पोचाकंड, बिहटो शारित, केंदुआ, परेवा, पारुहारा, रामचौरा, खेसारी, लारपुर, मारनपुर
बांका जिला – लखनौरी (2), रनगांव, दामोहन, खचमचिया, गोविंदपुर, खुदबदी, सबलपुर, पेर, बरोधा. चौड़ा, सहोरा, मझली मथानी, गोधा बहियार, बघौनिया, सारम व गोदिया, पटवे भोरवा, मालदौन, मझायारा, जितवारपुर, बिशनपुर
पश्चिम चंपारण जिला – बैरिया, बैजुआ अल्फा, बेलवा, बिनाकी खैरा, परसौनी, नारायणपुर, धनहा, मछहा चिनवलिया, डुमरी, बलुही खैरा, खैरा
वैशाली जिला – हरौली, चंद्रालय, हटारो
औरंगाबाद जिला – परैया
जहानाबाद जिला – सुलतानपुर
बक्सर जिला – मौजा खोरमपुर
लखीसराय जिला – सूरजगढ़ा
डॉल्फिन दिखते ही तुरंत रोकना होगा बालू खनन
बालू खनन के दौरान अगर डॉल्फिन या घड़ियाल गंगा या उनकी सहायक नदियों में दिखता है तो तत्काल बालू निकालने की प्रक्रिया रोक देनी है। उसके बाद स्थानीय जिला वन पदाधिकारी को सूचित करने के बाद आगे कोई कदम उठाना है।
जिला खनन पदाधिकारियों की ओर से परामर्श मांगने के बाद जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से यह बात कही गई है। कई जिला खनन पदाधिकारियों से अपने-अपने जिलों में डॉल्फिन की सघन स्थिति वाले केंद्रों की जानकारी जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से मांगी गई थी।