बिहार में कोसी-सीमांचल का वनवास ख़त्म, 2008 के बाद फिर से पटरियों पर दौड़ेगी ट्रैन
भगवान श्री राम (Lord Shri Ram) का वनवास 14 वर्षों बाद समाप्त हुआ था तब अयोध्या में उत्सव मनाया गया था। कुछ ऐसा ही नजारा नरपतगंज रेलवे स्टेशन (Narpatganj Railway Station) को उस वक्त देखने को मिला जब इस्टर्न रेलवे की रेल इंजन का ट्रायल हुआ। ग्रामीणों ने जब रेल की सिटी सुनी तो लोग नरपतगंज स्टेशन पर ट्रेन देखने उमड़ पड़े।
युवा रेल इंजन के साथ सेल्फी लेने लगे मानो लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। कोसी त्रासदी के बाद से बंद पड़े फारबिसगंज-सहरसा रेलखंड (Forbesganj-Saharsa Rail Section) में फारबिसगंज से प्रतापगंज ट्रेनों का परिचालन जो बंद हुआ था, वह अब तक चालू नहीं हुआ है। लेकिन, 14 साल बाद नरपतगंज स्टेशन पर जब ट्रायल इंजन पहुंचा तो ट्रेन की सिटी की आवाज सुनने के बावजूद नरपतगंज के लोगों को विश्वास ही नहीं हुआ कि स्टेशन पर कोई ट्रेन आई है।

दिसंबर 2022 तक रेल परिचालन शुरू
रेल अधिकारीयों की मानें तो ललितग्राम से नरपतगंज तक पहले चरण में अप्रैल 2022 तक तथा दिसंबर 2022 तक फारबिसगंज तक रेल परिचालन शुरू हो सकता है। त्रासदी के बाद जानमाल के साथ आवागमन व्यवस्था भी पूरी तरह ठप हो गया था।

त्रासदी का व्यापक असर फारबिसगंज-सहरसा रेलखंड पर भी पड़ा था। कोसी के जलप्रलय ने फारबिसगंज से लेकर नरपतगंज होते हुए प्रतापगंज आदि क्षेत्रों में कई जगहों पर रेलखंड को तहस-नहस कर दिया था। जिसके बाद ट्रेनों का परिचालन पूरी तरह ठप हो गया था।
रेल परिचालन को लेकर युद्ध स्तर पर काम
हालांकि, विगत एक वर्ष पूर्व राघोपुर से सहरसा तथा विगत 8 महीने पूर्व 27 अगस्त 2021 को राघोपुर से ललितग्राम तक रेलखंड पर इंजन का ट्रायल कर रेल परिचालन शुरू कर दिया गया। जिसके बाद ललित ग्राम से फारबिसगंज तक रेल खंड पर रेल परिचालन को लेकर युद्ध स्तर पर काम चल रहा है।

बता दें कि कुसहा त्रासदी के बाद से 2008 में रेल परिचालन बंद होने के बाद फारबिसगंज से राघोपुर रेलवे स्टेशन के बीच 20 जनवरी 2014 को ही मेगा ब्लॉक लिया गया था। फारबिसगंज से ललितग्राम तक का काम प्रथम चरण के तहत मेगा ब्लाक तो फारबिसगंज से राघोपुर रेलवे स्टेशन करीब 48 किलोमीटर तक लिया गया था।
बनेंगे व्यापार और रोजगार के अवसर
इस रेलखंड पर परिचालन शुरू होने से क्षेत्र के फारबिसगंज से चकरदाहा हांल्ट, देवीगंज, नरपतगंज, छातापुर हांल्ट, ललितग्राम तथा राघोपुर से सहरसा का सीधा संपर्क फिर से ट्रेन से हो सकेगा।
प्रतापगंज, सरायगढ़, थरबिटिया, सुपौल आदि जगहों के छोटे व्यापारियों और किसानों को अपने सामानों को रेल के माध्यम से बाजारों में सामान बेचने में सहूलियत मिलेगी और इस इलाके का व्यापार भी बढ़ेगा। दर्जनों रेलवे स्टेशन तथा आसपास के क्षेत्रों में नए रोजगार का भी अवसर मिल सकेगा।
फिर से जुड़ जाएगा कोसी-सीमांचल

सेक्शन इंजियर मुकेश कुमार ने बताया कि अब जल्द हीं इस इलाके में रेल संपर्क जुड़ जाएगा। एक तरफ जहां लोगों में रेलखंड के फिर से शुरू होने को लेकर खुशी है, वहीं फारबिसगंज मंडी के व्यापारी भी इस बात को लेकर उत्साहित हैं, कि 14 वर्ष के वनवास के बाद फारबिसगंज-सहरसा रेलखंड पर एक बार फिर से कोसी-सीमांचल जुड़ जाएगा।
रेलवे संघर्ष समिति ने चलाया था जन आंदोलन
कुशहा त्रासदी के बाद जब फारबिसगंज से सहरसा करीब 1 से 11 किलोमीटर रेलखंड पर इस रेलखंड पर काम बंद होने के बाद से ही करीब 08 वर्षों से रेलवे संघर्ष समिति के अध्यक्ष शाहजहां साथ के नेतृत्व में पूर्व सांसद सुखदेव पासवान, रमेश सिंह, मनोज जायसवाल आदि ने लगातार रेलवे परिचालन को लेकर संघर्ष समिति के बैनर की तरह आंदोलन चलाया।
ट्रेन का इंजन जब नरपतगंज पहुंचा तो संघर्ष समिती समेत क्षेत्र वासियों में गजब का उत्साह दिखा। शाहजहां शाद ने बताया कि रेलवे परिचालन शुरू होने से इस क्षेत्र का चौमुखी विकास होगा।